Vastu Tips for House in Hindi | Vastu Tips for House का महत्व | Vastu Tips for House की आवश्यकता
Vastu tips for house in hindi – दोस्तो जीवन में आपके घर का वास्तु की बेहद अहम भूमिका होती है। इसलिए घर में निवास करने से पहले यह जानकारी होना बेहद जरुरी होता है कि आपके घर की भूमि धनदायक है या धननाशक। कई बार ऐसा देखा जाता है कि कोई आदमी घर बनाता है एवं जैसे ही उसमें निवास करता है उसका काफी ज्यादा विकास हो जाता है इसके विपरीत कई लोग को घर में निवास करने के बाद काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
कई लोग घर में निवास करने के बाद इस बात पर ध्यान नहीं देते है कि घर का वास्तु कैसा है। लेकिन ऐसा सोचना बिल्कुल गलत होता है। क्योंकि यदि जाने अनजाने में कोई गलती हो गई हो तो इसका निवारण जानकारी होने के पश्चात किया जा सकता है। जिससे हम कठिनाईयों से बच सकते है एवं अपना विकास कर सकते है। अपने धन में वृद्धि मनोनुकूल कर सकते है।
Vastu tips for house Significance
वास्तु शास्त्र कला, विज्ञान, खगोल विज्ञान और ज्योतिष को मिलाकर प्राप्त होने वाला संयुक्त विज्ञान कहा जाता है। वास्तुशास्त्र हमारे जीवन को और बेहतर बनाने एवं नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मकता उत्पन्न करने में काफी सहायक होता है।
हिन्दू संस्कृति में चाहे ज्योतिष हो अथवा वास्तु सभी पूर्णतः प्रमाणित विधा है और इनकी सत्यता को कभी भी नकारा नहीं जा सकता है। ये बात अलग है कि कुछ स्वार्थी लोगों ने ज्योतिष और वास्तु से लोगो को भयभीत करके धन अर्जित करते है, जिससे ज्योतिष वास्तु जैसी पुरातन विद्या का लाभ अनेक लोगो को प्राप्त नहीं होता है।
किन्तु हिन्दी मे जाने वेबसाईट के इस पोस्ट के माध्यम से वास्तु टिप्स के बारे में जानकारी दे रहे है। जिसके द्वारा आप आने वाले परेशानियों से बच सकते है एवं अपने विकास को बढ़ा सकते है एवं जीवन में सकारात्मकता उर्जा को प्राप्त कर सकते है। 16 वास्तु टिप्स के माध्यम से यह जानते है कि हमारे निवास की भूमि का ढ़लान और इसका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता हैः-
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16 vastu tips for house in hindi
01. पूरब की ओर ढलान वाली भूमि समाज में सम्मान, पद और पुत्र दायक होती है।
02. भूमि का ढलान सर्वोतम ईशान कोण की तरफ माना जाता है क्योंकि इस प्रकार के ढलान को धनदायक, विद्यादायक एवं पुत्रदायक माना जाता है, इस प्रकार का ढलान अनेक सुखों को देने वाला होता है।
03.जबकि इसके विपरीत अर्थात ईशान कोण की तरफ उचाई गृह कलेश दायक, इससे वंश की वृद्धि भी रुक सकती है।
04. आग्नेय कोण की तरफ भूमि का ढलान होने पर धननाश, अग्निकांड जैसे संकट का सामना करना पर सकता है। जबकि अग्निकोण की भूमि उँची होने पर धनवृद्धि होती है।
05. दक्षिण दिशा की और ढलान वाली भूमि रोग देने वाली, धननाशक, वंशनाशक होती है।
06. नैरत्य कोण की ओर ढलान वाली भूमि भूत प्रेत का प्रभाव या डर, अज्ञात भय देने वाली, धन नाशक, रोग देने वाली होती है यहाँ चोरी की भी संभावन अधिक होती है।
07. पश्चिम दिशा की ओर ढलान वाली भूमि रोग और शोक देने वाली होती है।
08. उत्तर दिशा में ढलान वाली भूमि भरपूर अवसरों को खोलने वाली, सभी इच्छाओ की पूर्ती करने वाली, धन देने वाली होती है।
09. ईशान कोण, आग्नेय कोण और पश्चिम में भूमि उँची हो लेकिन नैरत्य कोण में नीची हो तो निर्धनता आती है।
10. ईशान कोण और पूरब दिशा की भूमि उँची और पश्चिम दिशा और नैरत्य कोण की भूमि नीची हो तो कुल हाना होती है।
11. ईशान कोण, वायव्य कोण और नैरत्य कोण में उँची भूमि किन्तु आग्नेय कोण में नीजी भूमि मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट देने वाली होती है।
12. आग्नेय कोण की उँची भूमि अत्यन्त ही धनदायक होती है।
13. आग्नेय कोण में उँची भूमि किन्तु नैरत्य, वायव्य, ईशान कोण की नीची भूमि ठीक-ठाक होती है।
14. नैरत्य कोण में उँची किन्तु वायव्य, ईशान और आग्नेय कोण में नीची भूमि लाभ प्रदायक होती है।
15. भूमि का मध्य भाग यानि हृदय स्थान उँचा और शेष सभी दिशायो में नीची भूमि सभी प्रकार के सुख देने वाली और धन धन्य से भरपूर होती है।
16.वायव्य कोण की ओर ढलान वाली भूमि निवास स्थान से दूर रहने को विवश कर देती है, कलेश, मानसिक अशांति देने वाली होती है।
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निष्कर्ष (Conclusion)
किसी भी भूमि में भिन्न भिन्न दिशाओं में अनेक प्रकार की स्थिति हो सकती है इससे इंकार नहीं किया जा सकता है लेकिन यह ध्यान से देखने पर ही पता लगाया जा सकता है किन्तु जो स्थितियाँ उपर बतायी गयी है उनसे आप अपने निवास स्थान की भूमि का मिलान करके कभी भी अपने समस्या का निवारण कर सकते है।
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