संत रविदास जयंती 2024 | Sant Ravidas Jayanti, Quotes, Anmol Vachan

Manoj Verma
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Sant Ravidas Jayanti 2023 | गुरु रविदास जंयती 2024 का महत्व | संत रविदास अनमोल वचन

Sant Ravidas Jayanti 2024: वर्ष 2024 में दिनांक-24 फरवरी 2024 को Sant Ravidas Jayanti के रुप में मनाया जायेगा। आईए उनके जयंती के शुभ अवसर पर जाने उनके अनमोल विचार आदि हिन्दी में।

भक्ति युग के 14वीं सदी में माघ मास के पूर्णिमा दिन रविवार को काशी के मंडुआडीह गाँव में रघु एवं करमाबाई के पुत्र के रुप में जन्में इस विभूति का पैतृक व्यवसाय चर्मकारी था, परन्तु इन्होने अपनी रचनाओं के माध्यम से कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर रोशनी डाली है।

तो संत रविदास के जयंती पर आइये जाने उनके अनमोल वचन……

Sant Ravidas Jayanti 2024

हर वर्ष माघ मास के पूर्णिमा के दिन को भक्ति आंदोलन के प्रसिद्ध संत के जन्म का जश्न, गुरु रविदास के जयंती के रुप में मनाया जाता है। इस दिन उनके अनमोल वचनो को याद किया जाता है।

उन्होने जो समाज को कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की है, जिससे समाज को कई महत्वपूर्ण सवालो के जवाब मिल जाते है।

वर्ष 2024 में माघ मास की पूर्णिमा 24 फरवरी शनिवार को है, इसलिए इस दिन को Guru Ravidas Jayanti 2024 के रुप में मनाया गया है।

संत रविदास जयंती 2024 की तारीख

माघ पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 24 फरवरी 2024 को रात 09:29 बजे से होगा और समापन 25 फरवरी को रात 11:58 बजे होगा. इसलिए वर्ष 2024 में संत रविदास जयंती 24 फरवरी को मनाई जाएगी

संत रविदास जयंती की महत्व (Sant Ravidas Jayanti Significance)

संत रविदास, जिन्हें रैदास, रोहिदास और रूहिदास के नाम से भी जाना जाता है, इनका जन्म 1377 ई. में वाराणसी, उत्तर प्रदेश के मांडुआधे में हुआ था, उनके भक्ति गीतों और छंदों ने भक्ति आंदोलन पर स्थायी प्रभाव डाला,

हिंदू कैलेंडर के अनुसार भी संत रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसलिए, हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार माघ पूर्णिमा पर उनकी जयंती मनाई जाती है

हालांकि संत रविदास की सही जन्म तिथि पर विवाद रहा है, जैसा कि कुछ विद्वानों द्वारा माना जात है कि यह वर्ष 1399 ई. था, जब संत रविदास का जन्म हुआ था

संत रविदास ने रविदासिया (Ravidassia) धर्म की स्थापना की थी। ये संत कबीर (Sant Kabir) के शिष्य थे, मीराबाई (Mirabai) उनकी शिष्या थीं, उनका जन्म स्थान अब श्री गुरु रविदास जन्म स्थान के रूप में जाना जाता है

और यह संत रविदास के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थान माना जाता है, उनके इकतालीस भक्ति गीत और कविताएं सिख ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib) में शामिल किए गये हैं

इस भारत के महान कवि और आध्यात्मिक हस्ती की 646वीं जयंती के रुप में मनाया जाएगा। द्रिक पंचांग के अनुसार माघ मास की पूर्णिमा के दिन यानी माघ पूर्णिमा को गुरु रविदास का जन्मदिन मनाया जाता है।

यह सिखों के बीच रविदासिया (Ravidassia) संप्रदाय से संबंधित लोगों के लिए वार्षिक उत्सव है। संत रविदास के पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में अनुयायियों की अच्छी खासी आबादी है

भारत में लोग इस खास मौके को बड़े उत्साह के साथ गुरु रविदास जयंती मनाते हैं। आज के दिन, भक्त नदी में पवित्र डुबकी लगाते हैं और कई अनुष्ठान करते हैं।

रविदास एक ईश्वर में विश्वास और निष्पक्ष धार्मिक कविताओं के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन जाति व्यवस्था के उन्मूलन में लगा दिया और जाति व्यवस्था की धारणा का खुले तौर पर तिरस्कार करते रहे।

Sant Ravidas Jayanti Anmol Vachan

  • किसी के लिए पूजा
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किसी की पूजा पूजनीय पद पर बैठने के कारण नहीं करनी चाहिए, उसके अंदर योग्य गुण हो तभी करना चाहिए यदि उनके अंदर कोई योग्य गुण नहीं हो, तो उनकी पूजा नहीं करनी चाहिए। लेकिन कोई ब्यक्ति यदि उंचे पद पर नहीं हो लेकिन उसके अंदर योग्य गुण हो, तो उसकी पूजा अवश्य करनी चाहिए।

  • कोई भी व्यक्ति बड़ा या छोटा
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कोई भी व्यक्ति बड़ा या छोटा अपने जन्म के कारण नहीं होता, बल्कि अपने कर्म के कारण होता है, ब्यक्ति के कर्म ही उसे उँचा या नीचा बनाते है।

  • भगवान उस हृदय में निवास करते है

भगवान उस हृदय में निवास करते है जिसके हृदय में किसी के लिए बैर भाव या द्वेष का भाव नहीं होता है ना ही किसी प्रकार का लालच होता है

  • हमें हमेशा कर्म करते रहना चाहिए
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हमें हमेशा कर्म करते रहना चाहिए एवं साथ ही साथ उसके प्राप्त होने वाले फल की आशा भी करना चाहिए। क्योंकि कर्म हमारा धर्म है एवं उसका फल हमारा सौभाग्य

  • कभी भी अपने अंदर अभिमान को

कभी भी अपने अंदर अभिमान को जन्म नहीं होने दें, क्योंकि एक छोटी सी चीटीं शक्कर के दानो को बीन सकती है, परन्तु एक विशालकाय हाथी ऐसा नहीं कर सकता है।

  • मोह माया में फंसा जीव

मोह माया में फंसा हुआ जीव इसके जाल में भटकता रहता है इससे निकलने का मार्ग केवल इसे बनाने वाले के पास ही होता है।

  • तेज हवा के चलते बड़ी लहरें

जिस तरह से सागर में लहरे तेज हवा के कारण उठती है परन्तु हवा के बंद होते ही सागर में समा जाती है उसी प्रकार मनुष्य का भी परमात्मा के बिना नहीं कोई अस्तित्व नहीं होता है

  • भ्रम के कारण साँप एवं रस्सी

भ्रम के कारण मनुष्य साँप एवं रस्सी में अंतर नहीं समझ पाता है और जैसे ही भ्रम दूर होता है उसे साँप एवं रस्सी में अंतर समझ में आने लगता है। उसी प्रकार अज्ञानता के हटते ही आत्मा एवं परमात्मा का मार्ग समझने लगता है।

Conclusion (निष्कर्ष)

आशा करते है इस पोस्ट के माध्यम से संत रविदास जयन्ती के बारे में दी गयी पूर्ण जानकारी प्राप्त की होगी। इससे जुड़े किसी भी प्रश्न ये विचार हेतु हमें कमेन्ट करें। पोस्ट अच्छा लगे तो इसे शेयर करे लाईक करें।

संत रविदास जयंती क्यों मनाई जाती है?

लोग गुरु रविदास की शिक्षाओं और समाज को सुधारने और जाति व्यवस्था के पूर्वाग्रहों को दूर करने की दिशा में जो काम किया, उसे याद करने के लिए संत-कवि रविदास की जयंती (Sant Ravidas Jayanti) माघ पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है।

संत रविदास जी का पूरा नाम क्या है?

रैदास, रामदास, गुरु रविदास, संत रविदास

रविदास का नाम रविदास क्यों पड़ा?

जिस दिन उनका जन्म हुआ उस दिन रविवार था, इसलिए उनका नाम रविदास रखा गया

रविदास ने क्या लिखा था?

रविदासजी ने लिखा कि ‘रैदास जन्म के कारने होत न कोई नीच, नर कूं नीच कर डारि है, ओछे करम की नीच‘ यानी कोई भी व्यक्ति सिर्फ अपने कर्म से नीच होता है। जो व्यक्ति गलत काम करता है वो नीच होता है। कोई भी व्यक्ति जन्म के हिसाब से कभी नीच नहीं होता।

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मेरा नाम मनोज वर्मा है। मैं बिहार के छोटे से शहर मुजफ्फरपुर से हूँ। मैने अर्थशास्त्र ऑनर्स के साथ एम.सी.ए. किया है। इसके अलावे डिजाईनिंग, एकाउटिंग, कम्प्युटर हार्डवेयर एवं नेटवर्किंग का स्पेशल कोर्स कर रखा हूँ। साथ ही मुझे कम्प्युटर मेंटनेंस का 21 वर्ष का अनुभव है, कम्प्युटर की जटिल समस्याओं को सूक्ष्मता से अध्ययन कर उनका समाधान करने एवं महत्वपूर्ण जानकारियों को डिजिटल मिडिया द्वारा लोगों तक पहुँचाना चाहता हूँ, ऑनलाईन अर्निंग, बायोग्राफी, शेयर ट्रेडिंग, कम्प्युटर, मोटिवेशनल कहानी, शेयर ट्रेडिंग, ऑनलाईन अर्निंग, फेमस लोगों की जीवनी के बारे में लोगो तक जानकारी पहुँचाने हेतु लिखता हूँ।
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