Janmashtami 2023: वर्ष 2023 में 6 सितम्बर 2023 को जन्माष्टमी का पावन पर्व मनाया जा रहा है। इस पावन त्योहार पर रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है,
जन्माष्टमी के अवसर पर सजावट के साथ, भजन कीर्तन, तरह तरह के भोग भी बनाकर चढ़ाया जाता है
इस दौरान लड्डू गोपाल को स्नान कराकर उन्हें सुंदर व रंग-बिरंगे वस्त्रों से सजाया जाता है। साथ ही उन्हें अलग-अलग पकवानों का भोग भी लगाया जाता है।
Janmashtami 2023 Date and Time
जन्माष्टमी तिथि शुरु | 6 सितम्बर 2023 3:37 PM |
जन्माष्टमी तिथि समाप्त | 7 सित्मबर 2023 4:14 PM |
Janmashtami Prasad
ऐसे में आज हम आपके लिए मखाने की खीर और पंचामृत की रेसिपी के बारे में बताने जा रहे है। जिसकी मदद से आप इसे बनाकर कान्हा जी को भोग लगाकर प्रसाद स्वरूप खुद भी ग्रहण कर सकते हैं। चलिए जानते हैं इसे बनाने का तरीका
1. मखाना खीर
चावल की खीर, सेवईं, साबूदाने की खीर आदि तो आपने कई बार बनाई होगी। आज मखाने की खीर भी बनाकर भोग लगाइए, जो बहुत ही लाजवाब होती है.
उत्तर भारत में जन्माष्टमी के खास अवकर पर घरों में कान्हा जी के पसंद के तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं, जिसमें से एक है मखाने की खीर भी है.
यह बहुत ही स्वादिष्ट होने के साथ बनाने में भी आसान होता है. इसे आप व्रत में आसानी से तैयार कर सकते हैं. तो आइए जानते हैं स्वाद से भरपूर मखाने की खीर बनाने की विधि
पर्व त्योहार के शुभ अवसरों पर लोग खासतौर पर मखाना खीर बनाते हैं। ऐसे में आप इस जन्माष्टमी में कान्हा जी को मखाना खीर का भोग लगा सकते हैं। आईए जानते हैं इसे बनाने का तरीका
मखाना खीर के लिए सामग्री
- मखाना- जरूरत अनुसार (जितना प्रसाद बनाना हो उसके हिसाब से)
- काजू- 1/2 कप से थोड़ा ज्यादा
- घी- 2 छोटे चम्मच
- सेंधा नमक- चुटकीभर
- इलाइची पाउडर- 1/2 छोटा चम्मच
- दूध- 1 लीटर
- चीनी- स्वाद अनुसार
- ड्राई फ्रूट्स- जरूरत अनुसार कटे हुए
विधि
- . सबसे पहले पैन में घी डालकर गर्म करके मखाना और काजू को रोस्ट करें।
- . अब इनपर थोड़ा नमक मिलाएं।
- . ठंडा हो जाने पर एक बाउल में 3/4 मखाने, काजू को ब्लेंडर मशीन में पीस लें।
- . उसी पैन में दूध को उबालें।
- . दूध उबलने पर इसमें चीनी और मखाना का मिश्रण को मिला दें।
- . मिश्रण गाढ़ा होने पर इसमें बाकी के रोस्ट किए हुए मखाने को डाल दें
- . खीर को गाढ़ा होने तक पकाते रहे।
- . अब इसे कटोरे में निकालकर ड्राई फूट्स से सजा करके कान्हा जी को श्रद्धा से भोग लगाएं।
2. पंचामृत
यह उत्तर भारत में बनाएं जाने वाला सबसे मशहूर प्रसाद है। इसे लोग खासतौर पर जन्माष्टमी एवं अन्य धार्मिक अवसरों पर प्रसाद के रुप में बनाते हैं। आइए जानते हैं इसे बनाने का तरीका
पंचामृत को बनाने के लिए सामग्री
- दही- 1 कटोरा
- दूध- 1 कप
- शहद- 1 छोटा चम्मच
- घी- 1 छोटा चम्मच
- कटे मेवे- 1 छोटा कटोरा
- गंगाजल- 2 बड़े चम्मच से
- तुलसी के पत्ते- 5-7 पीस
विधि
उपर लिखे सामाग्री को कटोरा एक साथ मिलाएं। मिलाने से आपका पंचामृत बनकर तैयार हो जाएगा। अब इसे कान्हा जी को भोग लगाएं और प्रसाद स्वरूप सभी को बांटें व खुद भी खाएं।
Janmashtami festival is celebrated in different cities
जैसा कि हम जानते है जन्माष्टमी का त्योहार पूरे भारतवर्ष में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। परन्तु किस जगह कैसे मनाया जाता है यदि नहीं जानते है तो इस पोस्ट में कुछ महत्वपूर्ण जगहों पर इसे कैसे मनाया जाता है इसको बताते है
- Mathura: जहाँ भगवान कृष्णा नें जन्म लिया था। जन्माष्टमी के अवसर पर यहाँ लोग घाटो मंदिरों को रोशनी से सजाते है। जन्माष्टमी के अवसर पहले लड्डु गोपाल को दूध से नहलाया, दही, माखन, घी आदि से स्नान कराया जाता है। इस पर्व की शुरुआत ढ़ोलक, शहनाई एवं नगारे को बजाकर किया जाता है। भक्तों के लिए कई प्रकार की फ्री व्यवस्था की जाती है। प्रसाद का वितरण किया जाता है।
- Vrindavan: यह वह स्थान है जहाँ कृष्ण भगवान ने राधा रानी एवं गोपियोंं के साथ रासलीला किया था। यहाँ जन्माष्टमी का त्योहार दस दिन पूर्व से ही मनाया जाता है। मंदिरो के प्रसिद्ध स्थानों को फूलों एवं रंग बिरंगे लाईट से सजाया जाता है। गोविन्द देव एवं बांके बिहारी मंदिर यहाँ के प्रसिद्ध मंदिरों में से है जहाँ दर्शन करने को हजारों भक्त आते है एवं बड़े ही धूमधाम से जन्माष्टमी का त्योहार मनाते है.
- Gokul: यह वह स्थान है जहाँ भगवान कृष्ण नें जन्म के बाद अपना बचपन बिताया था। इसलिए Janmastmi को गोकुलअष्टमी के नाम से भी प्रसिद्ध है। यहाँ के मंदिरों में राधा रानी मंदिर, राधा दामोदर मंदिर काफी प्रसिद्ध है। यहाँ हजारों की संख्या में भक्त दर्शन को आते है।
- विशाखापतनम: यहाँ इसकॉन मंदिर में बड़े ही धूमधाम से जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. यहाँ मंगलाआरती, अखण्ड नाम कीर्तन का आयोजन किया जाता है। कई प्रकार के रंगारंग कार्यक्रम किये जाते है।
- मुम्बई: यह स्थान जन्माष्टमी के अवसर बडे़ ही धूमाधाम से दही-हांडी का आयोजन किया जाता है। जिसमें नौजवान पिरामिड के आकार का समूह बनाकर बड़े उचांई पर रखे दही-हांडी की मटकी को फोड़ते है।
- पुरी (उड़ीसा): यहाँ भगवान कृष्ण का बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर जगन्नाथ मंदिर है। जहाँ भगवान श्री कृष्ण, बड़े भाई बलराम सुभद्रा के साथ विराजमान है। यहाँ जन्माष्टमी 17 दिन पूर्व से ही मनाया जाता है। 56 प्रकार के भोग भगवान को चढ़ाये जाते है। जैसे- दालमा, पखाला, अमालु एवं रसावली प्रसिद्ध है।