गरुड़ पुराण के अनुसार पितृ पक्ष (Pitru Paksha) मैं श्रद्धा और तर्पण करने से पूर्वज पितृ प्रसन्न होते हैं एवं ऐसा करने वाले को आशीर्वाद प्रदान करते हैं उनकी कृपा से जीवन में आने वाली समस्याएं एवं बढ़ाएं समाप्त हो जाती है वर्ष 2023 में 29 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहे हैं जाने तिथियां नियम विधि और महत्व के साथ-साथ गुप्त रहस्य इस पोस्ट के माध्यम से
महाभारत काल में अत्रि मुनि ने सबसे पहले श्राद्ध का उपदेश महर्षि निमि को दिया था। इसे सुनने के बाद ऋषि निमि ने श्राद्ध का आरंभ किया | त्रेता युग में सीता द्वारा दशरथ के पिंडदान करने की कथा काफी प्रचलित है|
Pitru Paksha 2023
पितृ पक्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से शुरू होकर आसींद मास की अमावस्या तक चलते हैं
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में मनाए जाने वाले श्राद्ध हमारी सनातन धर्म की परंपरा का हिस्सा हैं| लेकिन श्राद्ध का प्रारंभिक उल्लेख द्वापर युग में महाभारत काल के समय में ही मिलता है| महाभारत के शासनकाल में पर्व में भीष्म पितामह के युधिष्ठिर के साथ श्राद्ध के संबंध में बातचीत का उल्लेख मिलता है।
उसके बाद अन्य महर्षियों और चारों वर्णों के लोग भी श्राद्ध करने लगे।
भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से पितृपक्ष (Pitru Paksha) प्रारंभ होता है जो आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तक चलता है। पितरों के मोक्ष के लिए पितृपक्ष (Pitru Paksha) में श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर्म किए श्रद्धापूर्वक विधि विधान से किये जाते हैं।
पितृपक्ष तिथि
वर्ष 2023 में पितृपक्ष 29 सितंबर यानी शुक्रवार प्रतिपदा तिथि दोपहर 3:26 से लेकर 30 सितंबर यानी कल दोपहर 12:00 बजे 21 मिनट तक होगी
पितृपक्ष श्राद्ध की तिथियां
29 सितंबर 2023 शुक्रवार | श्रद्धा प्रारंभ अगस्त मुनि को जल तर्पण |
30 सितंबर 2023 शनिवार | प्रथम तिथि तर्पण एवं श्राद्ध |
1 अक्टूबर 2023 रविवार | द्वितीय तिथि तर्पण एवं श्राद्ध |
2 अक्टूबर 20 23 सोमवार | तृतीया तिथि तर्पण एवं श्राद्ध |
3 अक्टूबर 2023 मंगलवार | चतुर्थ तिथि एवं श्राद्ध |
4 अक्टूबर 20 23 बुधवार | पंचम तिथि |
5 अक्टूबर 2023 गुरुवार | तिथि |
6 अक्टूबर 20 23 शुक्रवार | सप्तम तिथि |
7 अक्टूबर 20 23 शनिवार | अष्टम तिथि |
8 अक्टूबर 20 23 रविवार | नवम तिथि |
9 अक्टूबर 20 23 सोमवार | दशमी तिथि |
10 अक्टूबर 20 23 मंगलवार | एकादशी तिथि |
11 अक्टूबर 20 23 बुधवार | द्वादशी तिथि |
12 अक्टूबर 2023 गुरुवार | त्रयोदशी तिथि |
13 अक्टूबर 2023 शुक्रवार | चतुर्दशी तिथि |
14 अक्टूबर 20 23 शनिवार | सर्व पितृ अमावस्या |
पितृपक्ष तर्पण विधि
दक्षिण मुखी होकर
पितृपक्ष के रहस्य
तीर्थ नैमिषारण्य नाभि बिहार के गया में वर्णित है| इसीलिए पितृपक्ष (Pitru Paksha) में नैमिषारण्य में देश के कोने कोने से श्रद्धालु पितरो का तर्पण करने आते हैं।
पड़ोसी देश नेपाल, श्रीलंका सहित मध्य प्रदेश आदि राज्यों से तमाम श्रद्धालु गया तीर्थ में पहुंचकर पितरों के मोक्ष के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करते हैं।
पुराणों के अनुसार, तीर्थ नैमिषारण्य मनुष्य के सभी कष्टों को हरने वाला माना जाता है। यहां पर किए गए पुण्य कर्म मनुष्य के सारे पापों को नष्ट कर देते हैं।
सतयुग से चले आ रहे श्राद्ध और तर्पण का विधान आज भी चल रहा है। पितृपक्ष में तर्पण करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। पुरखे संतुष्ट होकर निरोग चिरायु श्रेष्ठ संतान आदि का आशीर्वाद देते हैं। नैमिषारण्य पौराणिक स्थलों में से एक नाभि गया (काशी कुंड) व चक्र तीर्थ सहित गोमती नदी के किनारे श्राद्ध व तर्पण का विधान है।
Conclusion (निष्कर्ष)
आशा करते है इस पोस्ट के माध्यम से Pitru Paksha के गुप्त रहस्यों की जानकारी आपको अच्छी लगी होगी।
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मृत्यु के कितने समय बाद श्राद्ध करना चाहिए?
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