Saraswati Puja 2024: जानें तिथि, समय, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

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क्या आप जानते हैं कि आने वाले वर्ष 2024 में सरस्वती पूजा का आयोजन किस तिथि पर होगा? क्या आपको इस पूजा के साथ-साथ सही समय, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में जानने की इच्छा है? चिंता न करें, मैं आपकी मदद करूँगा। इस लेख में, मैं सरस्वती पूजा 2024 की पूरी जानकारी आपके साथ साझा करने जा रहा हूँ। चलिए, इस प्रतिष्ठित पूजा के महत्वपूर्ण अंशों को समझें और इस बारे में दिलचस्प जानकारी प्राप्त करें।

Contents
मुख्य बातें:सरस्वती पूजा की तारीख और समयसरस्वती पूजा की विधिशुभ मुहूर्तसरस्वती पूजा के महत्वसरस्वती पूजा के मंत्र और उपायसरस्वती पूजा के विधिसरस्वती पूजा की विधि तालिका:सरस्वती पूजा के गीतउद्धरण:निष्कर्षFAQसरस्वती पूजा 2024 की तिथि क्या है?सरस्वती पूजा का क्या महत्व है?सरस्वती पूजा के दौरान कौन सी विधि का पालन करना चाहिए?सरस्वती पूजा के लिए शुभ मुहूर्त कब है?सरस्वती पूजा के दौरान कौन-कौन से मंत्र जपने चाहिए?सरस्वती पूजा के विधान में कौन-कौन समग्री की आवश्यकता होती है?कौन-कौन से गीत सरस्वती पूजा के लिए संगीतित किए जाते हैं?सरस्वती पूजा का महत्व क्या है?सरस्वती पूजा के दौरान कौन-कौन से उपाय किए जाते हैं?सरस्वती पूजा की तारीख क्या है?सरस्वती माता की आराधना किस विधि से की जाती है?सरस्वती पूजा के दौरान गीत कौन-कौन से गाए जाते हैं?सरस्वती पूजा का इतिहास क्या है?

मुख्य बातें:

  • आने वाले वर्ष 2024 में सरस्वती पूजा की तारीख और समय
  • सरस्वती पूजा की विधि और पूजा सामग्री
  • शुभ मुहूर्त की जानकारी
  • सरस्वती पूजा का महत्व
  • सरस्वती पूजा के मंत्र और उपाय

सरस्वती पूजा की तारीख और समय

सरस्वती पूजा हिन्दू धर्म में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस पूजा को वसंत ऋतु में मनाया जाता है जब माता सरस्वती की कृपा और आशीर्वाद बेटे-बेटियों को शिक्षा और ज्ञान के साथ सम्पन्न करते हैं। सरस्वती पूजा 2024 की तारीख (Saraswati Puja 2024 Date) 19 फरवरी होने जा रही है और पूजा का समय (Saraswati Puja 2024 Time) प्रातः 6:59 से दोपहर 1:36 बजे तक रहेगा।

सरस्वती पूजा का आयोजन विद्यालयों, कॉलेजों, और शिक्षा संस्थानों में धूमधाम से किया जाता है। इस दिन छात्र और शिक्षार्थी माता सरस्वती की पूजा विधान के अनुसार करते हैं और उन्हें देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह पूजा भारत के विभिन्न हिस्सों में विशेष धूमधाम के साथ मनाई जाती है और विभिन्न प्रदेशों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

प्रदेशपूजा का नाम
पश्चिम बंगालवसंत पंचमी
उत्तर प्रदेशसरस्वती पूजा
असमसरस्वती पूजा

सरस्वती पूजा का उत्सव विशेष रंग-बिरंगे वस्त्रों, फूलों, और मिठाईयों से सजाता है। छात्र और छात्राएं सुंदर पुस्तकों, कलमों, विधान-सामग्री, और संगीत वाद्ययंत्रों का पूजन करते हैं। यह उत्सव शिक्षा और ज्ञान का महत्व दर्शाता है और सभी को अपने माता पिता और माता सरस्वती के प्रति गर्व महसूस कराता है।

सरस्वती पूजा की विधि

सरस्वती पूजा, जो हर साल बसंत पंचमी के दिन मनाई जाती है, बहुत ही महत्वपूर्ण और विशेष होती है। यह पूजा विद्या, ज्ञान, कला और संगीत की देवी सरस्वती की प्रार्थना के लिए की जाती है। सरस्वती पूजा की विधि में निम्नलिखित कदम होते हैं:

  1. पूजा स्थल की तैयारी: सरस्वती पूजा के लिए एक स्वच्छ और सुगंधित पूजा स्थान की तैयारी करें। स्थान को यथायोग्य रूप से सजाएं और एक सुगंधित दीपक और फूलों से सजाएं।
  2. मूर्ति स्थापना: पूजा स्थान पर सरस्वती माता की मूर्ति स्थापित करें। हाथ में बेंसी, माला और पुस्तकों की मूढ़ा होती हैं।
  3. पूजा सामग्री: पूजा के लिए विशेष सामग्री जैसे कि फूल, दीपक, धूप, अगरबत्ती, और पुष्पांजलि की तैयारी करें।
  4. पूजा अर्चना: पूजा अर्चना के दौरान मन्त्रों और श्लोकों का जाप करें और सरस्वती माता की आरती करें।
  5. प्रसाद: पूजा के बाद, सरस्वती माता को मिठाई या फल के प्रसाद के रूप में चढ़ाएं।

सरस्वती पूजा की विधि अलग-अलग क्षेत्रों में थोड़ी विभिन्नता रखती है, लेकिन ये मुख्य तत्व सभी में समान रहते हैं। इस पूजा को अपनी आदत बनाएं और सरस्वती माता का आशीर्वाद प्राप्त करें।

सरस्वती पूजा की विधिसरस्वती पूजा की विधि – उपाय
1. स्नान करें1. माला का धारण करें
2. पूजा स्थान की सजावट करें2. सरस्वती मंत्र का जाप करें
3. माता की मूर्ति स्थापित करें3. पुस्तकों का प्रदर्शन करें
4. पूजा सामग्री की तैयारी करें4. चावल और गुड़ का दान करें
5. मन्त्रों का जाप करें5. आरती करें

शुभ मुहूर्त

सरस्वती पूजा के शुभ मुहूर्त हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस महाशक्ति के आविर्भाव का उपयोग करके हम शिक्षा, ज्ञान, कला और संगीत की देवी सरस्वती की कृपा को प्राप्त कर सकते हैं।

श्रद्धालुओं के लिए सरस्वती पूजा के शुभ मुहूर्त बड़ी महत्त्वपूर्णता रखते हैं। हम आपको सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त आगामी वर्ष 2024 के लिए यहां प्रदान कर रहे हैं। यह मुहूर्त शिक्षा, ग्रंथों, कला और संगीत के क्षेत्र में स्वर्गीय देवी सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।

सरस्वती पूजा के लाखों भक्तों के लिए यह संदेश है कि आगामी वर्ष सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त 14 फरवरी 2024, बुधवार को है। इस दिन देवी सरस्वती की विशेष पूजा और आराधना की जाती है, जिससे विद्या और कला के क्षेत्र में मनोबल और अभिज्ञता में वृद्धि होती है।

सरस्वती माता की पूजा करते समय, हम उनके आशीर्वाद की आवाज सुन सकते हैं। इस मुहूर्त में पंडित नवान्न, फूल, उपहार और इत्र इत्यादि के साथ श्रद्धा और भक्ति के साथ उन्हें समर्पित करते हैं।

सरस्वती पूजा के शुभ मुहूर्त के द्वारा, हम विद्या, कला और संगीत के क्षेत्र में अधिक सामर्थ्य प्राप्त कर सकते हैं। यहां नीचे दिए गए टेबल में सरस्वती पूजा के शुभ मुहूर्त का विवरण है:

तारीखदिनशुभ मुहूर्त
14 फरवरी 2024बुधवार10:10 पूर्वाह्न से 12:17 दोपहर तक

यह शुभ मुहूर्त सरस्वती पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। भक्तों को इस मुहूर्त का पालन करते हुए सरस्वती माता की विशेष पूजा और आराधना करनी चाहिए और अपने आचार्य या पंडित जी से पूजा विधि के बारे में सलाह लेनी चाहिए।

सरस्वती पूजा के महत्व

सरस्वती पूजा हिन्दू धर्म में मां सरस्वती की पूजा और आराधना का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पूजा शिक्षा, विद्या, कला और ज्ञान की देवी मां सरस्वती के समर्पण का प्रतीक है। इस दिन शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति के लिए आशीर्वाद लेने का मान्यता से बिश्वास किया जाता है।

सरस्वती पूजा के महत्व को इस प्रकार समझा जा सकता है:

  1. शिक्षा का महत्व: मां सरस्वती शिक्षा की देवी मानी जाती हैं और सरस्वती पूजा शिक्षा को महत्वपूर्ण बनाती है। इस दिन छात्रों को ज्ञान और शिक्षा में संचारित करने के लिए आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  2. कला और संगीत का महत्व: सरस्वती पूजा भारतीय संस्कृति में कला और संगीत के महत्व को बढ़ावा देती है। इस दिन कलाकार और संगीत भक्तों को सरस्वती माँ की कृपा प्राप्त होती है और उनकी कला में उन्नति होती है।
  3. ज्ञान के महत्व: सरस्वती पूजा ज्ञान के महत्व को प्रतिष्ठित करती है। इस दिन लोग ज्ञान को मान्यता और सम्मान देते हैं और बुद्धि और समझ की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

इस अद्भुत त्योहार में सरस्वती माता हमें शिक्षा, कला, विद्या और ज्ञान की वाणी सुनाती हैं और हमें एक उज्ज्वल भविष्य की ओर प्रेरित करती हैं। यह पूजा हमें शिक्षा और ज्ञान में संचारित करने के लिए प्रेरित करती हैं और हमें सही मार्ग पर चलने की समझ देती हैं।

सरस्वती पूजा के महत्वप्रमुख पहलू
शिक्षा में प्रगतिछात्रों के शिक्षा में समृद्धि प्रदान करती हैं
कला और संगीत में उन्नतिकलाकारों और संगीतकारों के लिए आशीर्वाद होता हैं
ज्ञान का मान्यताज्ञान को प्रतिष्ठित करती हैं और उन्नति के लिए प्रेरित करती हैं

सरस्वती पूजा के मंत्र और उपाय

सरस्वती पूजा का आयोजन करते समय सरस्वती मंत्र का प्रयोग करना शुभ माना जाता है। सरस्वती मंत्रों की उच्चारणा से विद्यार्थी और कला-संबंधित कार्यों में स्वयं को वृद्धि मिलती है। इसलिए, यदि आप सरस्वती पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित सरस्वती मंत्रों का आयोजन कर सकते हैं:

  1. या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
    या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
    या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता।
    सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
  2. ओम श्रीं वाग्देव्यै नमः।
  3. ओम ऐं ह्रीं श्रीं सरस्वत्यै नमः।

इन मंत्रों का नियमित जाप करने से सरस्वती माता की कृपा प्राप्त होती है और बुद्धि, ज्ञान, विद्या, और कला में समृद्धि होती है।

सरस्वती पूजा के साथ-साथ, उपायों का भी प्रयोग किया जा सकता है जो विद्यार्थी और कला-संबंधित कार्यों में सफलता लाने के लिए सम्पर्क करते हैं। ये उपाय निम्नलिखित हो सकते हैं:

  1. विद्या और कला को समर्पित एक ध्येय स्थल स्थापित करें। समय-समय पर इस स्थान पर समय बिताएं और अनुभव करें।
  2. प्रतिदिन सकारात्मक मंत्रों का उच्चारण करें और सरस्वती माता को प्रसन्न करने के लिए उनकी आराधना करें।
  3. सुबह-सुबह पाठशाला या कला स्थान पर पढ़ाई करें। इससे आपका ज्ञान व विद्या में स्थिरता बढ़ेगी।

ये सरस्वती पूजा के मंत्र और उपाय आपको बुद्धि, ज्ञान, विद्या और कला के क्षेत्र में सफलता प्रदान कर सकते हैं।

सरस्वती पूजा के विधि

सरस्वती पूजा, जो हमें शारदीय नवरात्रि के बाद सम्पन्न होती है, देवी सरस्वती का ध्यान करने और उन्हें पूजन करने का अवसर है। इस पूजा में, हम मन्त्रों, आरतीयों, और पूजा विधियों का पालन करते हैं ताकि हमें देवी सरस्वती की कृपा प्राप्त हो सके। यहां हम सरस्वती पूजा के कुछ महत्वपूर्ण उपायों के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।

  1. पूजा की तैयारी करें: सरस्वती पूजा के लिए सबसे पहले, पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की तैयारी करें। इसमें देवी सरस्वती की मूर्ति, फूल, पुष्पमाला, लंगोट, चादर, दीपक, अचामनी कप, पौधे, धनिया, रोले, चावल, मिश्री, घी, एक्वाग्रा, सिन्दूर, चौकी, आरती की थाली शामिल हो सकती है।
  2. पूजा का समय चुनें: सरस्वती पूजा के लिए सबसे शुभ माने जाने वाला समय का चयन करें। व्यापारिक और शिक्षात्मक कार्यों के बन्द होने के बाद, सुबह 10 बजे तक पूजा की शुरुआत करें।
  3. पूजा स्थल की सजावट करें: सरस्वती पूजा के लिए एक सुन्दर और पवित्र स्थान का चुनाव करें। यह स्थान शुद्ध और आकर्षक होना चाहिए। उसे फूलों, घास के गोले, टॉरण, और चंदन की चंदनी से सजाएं।
  4. पूजा करें: पूजा का आरंभ दीपक के सामने करें। ध्यान करें और सरस्वती माता के लिए मंत्रों का जाप करें। उन्हें पुष्प, चावल, मिश्री, या फलों से आर्चना करें। आरती के बाद, प्रसाद को सभी मंदिर के लिए वितरित करें।
  5. भोजन का आयोजन करें: पूजा के बाद, समाप्ति की आज्ञा देकर भोजन का आयोजन करें। इसमें महाप्रसाद शामिल हो सकता है, जिसमें पूरे परिवार को शामिल किया जा सकता है।

सरस्वती पूजा के बाद, अपने जीवन में ब्रह्मचर्य, ज्ञान, और कला को बढ़ावा देने की कोशिश करें। इस पूजा के माध्यम से आपकी बुद्धि, विद्या, और कला की देवी सरस्वती आपकी रक्षा करेंगी।

सरस्वती पूजा की विधि तालिका:

क्रमांकपूजा विधि
1पूजा की तैयारी करें
2पूजा का समय चुनें
3पूजा स्थल की सजावट करें
4पूजा करें
5भोजन का आयोजन करें

पूजा करते समय, ध्यान दें कि आप स्वच्छता का रखें और पूजा सामग्री को ध्यानपूर्वक संजोएं। सरस्वती माता को मन से पूजें और उनका आशीर्वाद लें। पूजा के बाद, अपने परिवार और प्रियजनों के साथ मनोरंजन करें और उनके साथ पूजा का खास इंतजार करें।

सरस्वती पूजा के गीत

सरस्वती पूजा हिंदी संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे संगीत और गीतों के माध्यम से आदर्श बताया जाता है। सरस्वती पूजा के दौरान सभी शिविरों और मंदिरों में गीत और संगीत की धूम मचती है। इस खंड में, मैं कुछ प्रमुख सरस्वती पूजा के गीतों के बारे में चर्चा करूंगी जो आपकी पूजा विधि को आनंदमय और सुंदर बनाएंगे।

  1. सरस्वती माता की आरती: यह गीत सरस्वती माता के आरती का गायन करता है। इस गीत के माध्यम से भक्त देवी की पूजा करते हुए और उन्हें प्रशंसा करते हुए अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।
  2. माँ सरस्वती के भजन: यह गीत सरस्वती माता की महिमा और कृपा को गाता है। इस गीत को सुनकर भक्त मांगलिक वरदानों की प्रार्थना करते हैं और उनकी कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
  3. सरस्वती पूजा के भक्तिमय गीत: ये गीत सरस्वती माता की पूजा और मान्यताओं को प्रभावी ढंग से व्यक्त करते हैं। इन गीतों के माध्यम से भक्त अपनी आराधना और आत्मिकता का अभिप्राय आसानी से प्रकट कर सकते हैं।

गीतों का संगीतिक महत्व सरस्वती पूजा में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन गीतों के माध्यम से भक्त माता सरस्वती का सम्मान करते हैं और उनकी कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इससे प्रतियोगिताओं और साहित्यिक कार्यक्रमों में भी उच्च कृतियों का संग्रह होता है।

गीत क्रमांकगीत का नामगायक/गायिका का नाम
1सरस्वती चालीसाअनुराधा पौडवाल
2मैं तो सरस्वती आराधना करूंगाकाव्या जायेश
3माँ सरस्वती, उपस्थित रहें मेरे मन मेंरवीन्द्र जैन
  • सरस्वती पूजा के लिए गीतों का महत्वपूर्ण माध्यमीकरण।
  • भक्तों को सरस्वती माता के ध्यान में ले जाने का कार्यकारी तरीका।
  • आरती गान द्वारा संस्कृतिक माहौल का सुंदर व्याप्ति।

उद्धरण:

“सरस्वती पूजा में गाने की धूम हमें देवी के समीप ले जाती है, जहां हम शांति और आनंद का आनुभव करते हैं।”

निष्कर्ष

सरस्वती पूजा भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो अध्यात्मिक और शिक्षा की देवी, सरस्वती माता की पूजा करता है। इस पूजा के द्वारा हम अपने ज्ञान की संचय करने का अवसर प्राप्त करते हैं और विद्या, कला, और संगीत के प्रभाव को मनाते हैं।

सरस्वती पूजा के दौरान, हम समय की वैश्विक महत्वाकांक्षी प्रतीत होते हैं क्योंकि हमारे और हमारे बच्चों के लिए शिक्षा, ज्ञान और कला का महत्व हमेशा ही बना रहता है। हम सरस्वती माता की कृपा के साथ हमारे विचारों को शुद्ध करते हैं, नई ज्ञान के प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं और उच्च स्तर की शिक्षा और संगीत की प्रोत्साहना करते हैं।

सरस्वती पूजा के माध्यम से हम अपनी संस्कृति और धार्मिक अनुष्ठान को सार्थकता देते हैं और यहां दीपावली के पश्चात भारतीय कैलेंडर का पांचवा महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। सरस्वती पूजा हमे हमारे विचारों को शुद्ध करने, नई ज्ञान के प्राप्ति के लिए प्रार्थना करने और उच्च स्तर की शिक्षा और संगीत की प्रोत्साहना करने का अवसर प्रदान करती है।

FAQ

सरस्वती पूजा 2024 की तिथि क्या है?

सरस्वती पूजा 2024 की तिथि 15 फरवरी है।

सरस्वती पूजा का क्या महत्व है?

सरस्वती पूजा हिन्दू धर्म में मां सरस्वती की आराधना का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह शिक्षा, कला, संगीत और ज्ञान की देवी की कृपा प्राप्ति का विशेष दिन है।

सरस्वती पूजा के दौरान कौन सी विधि का पालन करना चाहिए?

सरस्वती पूजा के दौरान विधि के अनुसार, मां सरस्वती की मूर्ति को पूर्व योग्यता के साथ एक शुद्ध स्थान पर स्थापित करना चाहिए। उसके बाद, आरती, पुष्पांजलि और प्रसाद की उपस्थिति के साथ पूजा की जाती है।

सरस्वती पूजा के लिए शुभ मुहूर्त कब है?

सरस्वती पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 7:18 AM से 12:35 PM तक है।

सरस्वती पूजा के दौरान कौन-कौन से मंत्र जपने चाहिए?

सरस्वती पूजा के दौरान मां सरस्वती के मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै नमः” और “ॐ सरस्वत्यै नमः” का जाप करना चाहिए।

सरस्वती पूजा के विधान में कौन-कौन समग्री की आवश्यकता होती है?

सरस्वती पूजा के विधान के लिए आपको मां सरस्वती की मूर्ति, फूल, पुष्प, अभिषेक करने के लिए जल, चावल, पूजा सामग्री जैसे पूजा थाली, रात्रि के लिए दीया, धूप, आरती की थाली, पाठ के लिए पुस्तक, विधान के लिए मन्त्र बुक आदि की आवश्यकता होती है।

कौन-कौन से गीत सरस्वती पूजा के लिए संगीतित किए जाते हैं?

सरस्वती पूजा के लिए लोग विभिन्न संगीतित गीत जैसे “सरस्वती माता की आरती”, “या कुंदेन्दु तुषारहार धवला” और “जय सरस्वती माता” गाते हैं।

सरस्वती पूजा का महत्व क्या है?

सरस्वती पूजा का महत्व हिन्दू धर्म में मां सरस्वती की महिमा को उजागर करने के लिए है। यह पूजा शिक्षा, कला, संगीत और ज्ञान की देवी का आदर्श बना रखने का एक माध्यम है और विद्यार्थियों को बुद्धि, ज्ञान और कला में सफलता प्रदान करने के लिए मां सरस्वती की कृपा की आशा जगाता है।

सरस्वती पूजा के दौरान कौन-कौन से उपाय किए जाते हैं?

सरस्वती पूजा के दौरान लोग विभिन्न उपाय करते हैं जैसे गीतों का सुनना, पढ़ाई करना, कला की प्रदर्शन करना, विद्यालय और संगठनों में ज्ञान साझा करना, विद्यार्थियों को उपहार देना और मंत्र का जप करना।

सरस्वती पूजा की तारीख क्या है?

सरस्वती पूजा की तारीख 15 फरवरी 2024 है।

सरस्वती माता की आराधना किस विधि से की जाती है?

सरस्वती माता की आराधना में पुरानी या नई पट की माँग लिए बिना एक पुरानी पूजा थाली का उपयोग करके स्थापित करने के बाद पंडित आरती करते हैं, पुष्पांजलि चढ़ाते हैं और उपचार करके प्रसाद बांटते हैं।

सरस्वती पूजा के दौरान गीत कौन-कौन से गाए जाते हैं?

सरस्वती पूजा के दौरान लोग यही बहुत सारे गाने गाते हैं: – सरस्वती मैया कैसी होती हैं – सरस्वती माँ के शुभ नामावली – जय सरस्वती वागदेवी – सदा वागवादिनी वरदा – वागदेवी तू जय – सरस्वती आरती – या कुंदेन्दु तुषारहार धवला

सरस्वती पूजा का इतिहास क्या है?

सरस्वती पूजा का इतिहास हिन्दू मान्यताओं के अनुसार मां सरस्वती की पूजा प्रतिवर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष पंचमी को मनाने का शुरुआती अवसर माना जाता है।

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मेरा नाम मनोज वर्मा है। मैं बिहार के छोटे से शहर मुजफ्फरपुर से हूँ। मैने अर्थशास्त्र ऑनर्स के साथ एम.सी.ए. किया है। इसके अलावे डिजाईनिंग, एकाउटिंग, कम्प्युटर हार्डवेयर एवं नेटवर्किंग का स्पेशल कोर्स कर रखा हूँ। साथ ही मुझे कम्प्युटर मेंटनेंस का 21 वर्ष का अनुभव है, कम्प्युटर की जटिल समस्याओं को सूक्ष्मता से अध्ययन कर उनका समाधान करने एवं महत्वपूर्ण जानकारियों को डिजिटल मिडिया द्वारा लोगों तक पहुँचाना चाहता हूँ, ऑनलाईन अर्निंग, बायोग्राफी, शेयर ट्रेडिंग, कम्प्युटर, मोटिवेशनल कहानी, शेयर ट्रेडिंग, ऑनलाईन अर्निंग, फेमस लोगों की जीवनी के बारे में लोगो तक जानकारी पहुँचाने हेतु लिखता हूँ।
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