19 Yaksha Prashna Detail in Hindi | यक्ष प्रश्न हिन्दी में जानें

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Yaksha Prashna | यक्ष-युधिष्ठिर सवाल- जवाब | यक्ष-युधिष्ठिर संवाद | यक्ष प्रश्न | महाभारत कथा | Yaksh Yudhishthir Samvad in Hindi | Yaksha Prashna Uttar | Yaksha Questions and Answers

Yaksha Prashna in Hindi: हजारों साल पहले की बात है। हस्तिनापुर देश के राजा पांडु के पाँच बेटे थे-युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव। ये पांचों भाई पांडव कहलाते थे

पांडु के बड़े भाई धृतराष्ट्र के सौ बेटे थे। वे कौरव कहलाते थे। बचपन से ही कौरव पांडवों को पसंद नहीं करते थे। पांचो पांडव बहुत चतुर और कल बलवान थे।

उनके अच्छे स्वभाव के कारण सब उनको पसंद करते थे। यह देखकर कौरव उनसे जलने लगे। उन्होंने पांडवों को सताने और हराने के लिए एक योजना बनाई।

उस समय राजा लोग एक दूसरे के साथ चौसर खेला करते थे। चौसर शतरंज की तरह का ही एक खेल होता है। लेकिन इस खेल में लोग अपने राज तक को दांव पर लगा देते थे। कौरवों के मामा शकुनी चौसर की खेल में कभी हारते नहीं थे।

इसलिए कौरवों ने पांडवों को चौसर के खेल के लिए बुलाया। कौरवों की योजना थी पांडवों से सब कुछ जीतकर उन्हें जंगल में भेज दें ताकि लोग उनको भूल जाए।

उन्होंने पांडवों के सामने शर्त रख दी। जो खेल में हारेगा उसे 12 साल तक बनवास और 1 वर्ष अज्ञातवास में रहना होगा। पांडव शर्त मान गए। जैसी कौरवों की योजना थी, वैसा ही हुआ। पांडव हार गए। उन्हें 13 वर्षों के लिए वनवास में जाना पड़ा।

एक बार जंगल में भटकते भटकते पांचों भाई काफी दूर चले गए। वे काफी थक गए थे इसलिए थोड़ा सुस्ताने लगे। उन्हें प्यास भी लग रही थी। युधिष्ठिर ने नकुल से कहा भैया जरा उस पेड़ पर चढ़कर कि देखो क्या कहीं कोई तालाब या नदी है।

नकुल ने पेड़ पर चढ़कर देखा। उतर कर बताया कुछ दूरी पर ऐसे पौधे दिखाई दे रहे हैं जो पानी के नजदीक ही उगते है। आसपास कुछ बगुले भी बैठे हुए हैं। वहीं कहीं पानी अवश्य होगा।

युधिष्ठिर ने कहा जाकर देखो और पानी मिले तो ले आओ।

नकुल भाई की बात सुनकर चल पड़ा। उसका अनुमान सही था। थोड़ी दूरी पर एक जलाशय था। नकुल ने सोचा पहले अपनी प्यास बुझा लुँ, फिर पानी ले चलूंगा। यह सोचकर उसने दोनों हाथों की अंजुलि में पानी लिया। जैसे ही वह पानी पीने लगा इतने में एक आवाज आई, हे माद्री के पुत्र -यह मेरा जलाशय है। पहले मेरे प्रश्नों का उत्तर दो फिर पानी पियो।

नकुल को इतनी प्यास लगी थी की उसने आवाज पर ध्यान नहीं दिया और पानी पी लिया। पानी पीते ही उसे चक्कर-सा आया और वहीं गिर गया। जब बहुत देर तक नकुल वापस नहीं आया तो युधिष्ठिर को चिंता हुई। उन्होंने सहदेव को भेजा।

जब सहदेव को सरोवर दिखाई दिया तो उसने भी पानी पीना चाहा। उसे भी चेतावनी सुनीई दी। उसने भी आवाज को ध्यान नहीं दिया और पानी पी लिया। पानी पीते ही वह भी बेहोश हो गया।

जब सहदेव भी नहीं लौटा तो युधिष्ठर ने अर्जुन से कहा जाकर देखो कहीं उसके साथ कोई दुर्घटना तो नहीं हो गई। अर्जुन भी सरोवर पर पहुँचा। प्यास तो उसे भी लगी थी।

अपने भाइयों को धरती पर पड़ा हुआ देखकर भी उसने पहले पानी पीना चाहा। पानी पीने लगा तो उसे भी चेतावनी सुनाई दी। पर उसने भी पानी पी लिया और बेसुध हो गया।

अब तो घबराहट के कारण युधिष्ठिर का बुरा हाल हो गया था। उन्होने भीम से कहा, भैया भीम देखो अर्जुन भी वापस नहीं आया। तुम ही जाकर देखो वे तीनों कहा रह गए।

आज्ञा मानकर भीम तेजी से तालाब की ओर गया। किनारे पर तीनों भाई पड़े थे। भीम ने सोचा यह तो कोई किसी यक्ष की करतुत लगती है। पहले पानी पी लू फिर उसे मजा चखाता हुँ।

भीम को भी चेतावनी सुनाई दी पर उसने भी चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया। पानी पीते ही वह भी अचेत हो गया। उधर युधिष्ठिर अकेले बैठे बैठे घबराने लगे। आखिरकार उन्होने खुद भाईयों का पता लगाने का निश्चय किया।

भाईयो को खोजते खोजते वे भी उसी विषैले तालाब के पास पहुँच गये, जहाँ उसके चारों भाई बेजान पड़े थे। भाईयों की यह हालत देख उन्हे बहुत दुख हुआ। उन्होने ध्यान से देखा। सोजने लगे आसपास धरती पर किसी शत्रु का कोई निशान नहीं है।

लड़ने का भी कोई चिन्ह नहीं है। शायद यह कौरवों की कोई चाल है। शायद किसी माया या जादू के कारण मेरे भाईयों की ऐसी हालत हो गई है। वरना उन्हें हराना कोई आसान काम नहीं है।

पहले प्यास बुझा लूँ, फिर जाँच करता हूँ। यह सोचकर वे भी पानी पिने लगे। उन्हें भी वही वाणी सुनाई दी। युधिष्ठिर समझ गये कि यह कोई यक्ष है। युधिष्ठिर ने कहा ठीक है। आपको जो प्रश्न पूछना है, पूछिए। मैं उनके उत्तर देकर ही पानी पिउँगा।

Yaksha Prashna Yudhisthir Samvad

यक्ष नें प्रश्न पूछना शुरु कर दिया। इसे ही Yaksha Prashna कहा जाता है।

यक्ष – मनुष्य का साथ कौन देता है?

युधिष्ठिर – धैर्य ही मनुष्य का साथ देता है

यक्ष – कोन सा शास्त्र या विद्या है जिसका अध्ययन करके मनुष्य बुद्धिमान बनता है ?

युधिष्ठिर – कोई भी शास्त्र ऐसा नहीं है ? ज्ञानी लोगों की संगति से मनुष्य बुद्धिमान बनता है।

यक्ष – किस चीज को गंवाकर मनुष्य धनी बनता है ?

युधिष्ठिर – लालच को

यक्ष – किस चीज के खो जाने से दुख नहीं होता है ?

युधिष्ठिर – क्रोध के खो जाने पर

यक्ष – किसके छुट के जाने से मनुष्य को सब पसंद करने लगते है ?

युधिष्ठिर – अहंकार के छुट जाने पर

यक्ष – घास से भी तुछ चीज क्या होती है ?

युधिष्ठिर – चिंता

यक्ष – हवा से भी तेज चलने वाला कौन है ?

युधिष्ठिर – मन

यक्ष – बरतनों में सबसे बड़ा कोन सा है ?

युधिष्ठिर – भूमि ही सबसे बड़ा बरतन है। इसमें सबकुछ समा सकता है।

यक्ष – भूमि से भारी चीज क्या है?

युधिष्ठिर – संतान को कोख में धारण करने वाली माता भूमि से भी भारी होती है।

यक्ष – आकाश से भी उँचा कौन है ?

युधिष्ठिर – पिता

यक्ष – संसार में दुख क्यों है?

युधिष्ठिर -लालच, स्वार्ध और डर संसार के दुख का कारण है।

यक्ष – भाग्य क्या है?

युधिष्ठिर – हर कार्य का का एक परिणाम होता है। यह परिणाम अच्छा भी हो सकता है, बुरा भी हो सकता है। यह परिणाम ही भाग्य है। आज का प्रयत्न कल का भाग्य है।

यक्ष – सुख और शांति का रहस्य क्या है?

युधिष्ठिर – सत्य, सदाचार, प्रेम और क्षमा सुख का कारण है। असत्य, अनाचार, घृणा और क्रोध का त्याग शांति का मार्ग है।

यक्ष – बुद्धिमान कौन है?

युधिष्ठिर -जिसके पास विवेक है।

यक्ष – विदेश जाने वाले का साथी कौन होता है ?

युधिष्ठिर – विद्या

यक्ष – धर्म से बढ़कर संसार में और क्या है?

युधिष्ठिर – दया

यक्ष – खेती करनेवालो के लिए कौन सी वस्तु श्रेष्ठ है?

युधिष्ठिर – वर्षा

यक्ष – बिखेरने के लिए क्या सर्वश्रेष्ठ है?

युधिष्ठिर – बीज

यक्ष – इस संसार में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है?

युधिष्ठिर – रोज हजारों लाखों लोग मरते है फिर भी सभी को हमेशा जीते रहने की इच्छा रहती है। इससे बड़ा आश्चर्य क्या हो सकता है?

इसी तरह युधिष्ठिर ने यक्ष के सभी प्रश्नों के बिलकुल ठीक-ठीक उतर दिए। अंत में यक्ष बोला, “हे युधिष्ठिर मैं तुम्हारी बुद्धि और धैर्य से बहुत प्रसन्न हूँ। मैँ तुम्हारे किसी एक भाई को फिर से जीवित कर सकता हूँ। बताओ, तुम भाई नकुल को जीवित कर दीजिए।

जैसे ही युधिष्ठिर ने यह बात कही, उनके सामने यक्ष प्रकट हो गया। यक्ष ने पूछा, “युधिष्ठिर दस हजार हाथियों के बल बाले भीम को छोड़कर तुमने नकुल को क्यों चुना?“

युधिष्ठिर ने कहा, “हे यक्ष, मेरी दो माताएँ हैं। माता कुंती को कोख से जन्म लेने वाला पुत्र तो मैं हूँ ही। मैं चाहता हूँ कि माता माद्री की कोख से जन्म लेने वाला एक पुत्र भी जीवित हो जाए ताकि हिसाब बराबर हो जाए। अतः आप कृपया नकुल को जीवित कर दीजिए।”

यक्ष ने कहा, “हे युधिष्ठिर, तुम सचमुच हमेशा सही कार्य करते हो, तुम्हारे अंदर कोई छल-कपट नहीं है। इसलिए मैं तुम्हारे चारों भाईयों को जीवित करता हूँ।”

यक्ष ने आगे कहा, “हे युधिष्ठिर, मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूँ कि कौरवों के साथ युद्ध में तुम्हारी ही विजय होगी क्योंकि तुम हमेशा सत्य के रास्ते पर चलते हो।”

इतना कहकर यक्ष अंतर्धान हो गया। चारों भाई उठ बैठे । जैसा यक्ष नें कहा था, वैसा ही हुआ। कौरवों और पांडवों में अठारह दिनों तक भयानक युद्ध हुआ। इसे महाभारत का युद्ध कहते है। इस युद्ध में कौरवों ने अनेक छल-कपट किए लेकिन जीत पाडंवों की हुई।

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Q. Yaksha Prashna Kya hai ?

A. युधिष्ठिर से यक्ष नें जो प्रश्न किये उन्ही प्रश्नों को Yaksha Prashna कहा जाता है।

Q. यक्ष के प्रश्न हवा से भी तेज चलने वाला कौन है ? का युधिष्ठिर ने क्या उतर दिया ?

उतर. युधिष्ठिर ने कहा – मन

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मेरा नाम मनोज वर्मा है। मैं बिहार के छोटे से शहर मुजफ्फरपुर से हूँ। मैने अर्थशास्त्र ऑनर्स के साथ एम.सी.ए. किया है। इसके अलावे डिजाईनिंग, एकाउटिंग, कम्प्युटर हार्डवेयर एवं नेटवर्किंग का स्पेशल कोर्स कर रखा हूँ। साथ ही मुझे कम्प्युटर मेंटनेंस का 21 वर्ष का अनुभव है, कम्प्युटर की जटिल समस्याओं को सूक्ष्मता से अध्ययन कर उनका समाधान करने एवं महत्वपूर्ण जानकारियों को डिजिटल मिडिया द्वारा लोगों तक पहुँचाना चाहता हूँ, ऑनलाईन अर्निंग, बायोग्राफी, शेयर ट्रेडिंग, कम्प्युटर, मोटिवेशनल कहानी, शेयर ट्रेडिंग, ऑनलाईन अर्निंग, फेमस लोगों की जीवनी के बारे में लोगो तक जानकारी पहुँचाने हेतु लिखता हूँ।
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