Maner Ka Laddu Aur Silav Ka Khaja क्या, कैसे, किमत क्या है | Silao ka Khaja क्या है
Maner Ka Laddu | मनेर का लड्डू
मनेर का लडडू बिहार का प्रसिद्ध मिठाई के रूप में काफी प्रचलित है क्योंकि इनका स्वाद अन्य मिठाई की तुलना में बेहद लजीज हैं
राज्य या देश के अन्य क्षेत्रों के लोग Maner Ka Laddu के बारे में थोड़ा बहुत अवश्य जानते हैं यह लड्डू अन्य लड्डुओं से आकार में बड़े होते हैं
मनेर ऐसे तो सूफी संत पीर हजरत मखादुन का इबादत स्थल माना जाता है लेकिन यहां के लड्डू भी मनेर को एक नई पहचान दिलाती है

सोन गंगा का पानी द्वारा बेसन और चासनी से तैयार इन लोगों को आम आदमी के अलावे फिल्मी सितारे भी दीवाने हैं कई फिल्मी सितारे पटना आते हैं तो Maner Ka Laddu का स्वाद बिना चखे नहीं रहते हैं
मनेर के लड्डुओं का स्वाद राजनेताओं को भी खूब पसंद है अटल बिहारी बाजपेई चंद्रशेखर बी पी सिंह रविशंकर प्रसाद प्रमोद महाजन स्वर्गीय सुषमा स्वराज समेत कई नेताओं के पांव बिहार में आते हैं Maner Ka laddu के इस दुकान पर पहुंच जाते थे
Maner ka Laddu देश के साथ विदेशों में भी बेहद लोकप्रिय हैं इन्हें उपहार स्वरूप दुबई अमेरिका इंग्लैंड कई अन्य देशों में भेजा जाता है अंग्रेजों ने तो इसे वर्ल्ड फेम तक का प्रमाण पत्र दिया है
मनेर के लड्डू को शुद्ध देसी घी चने का बेसन ड्राई फ्रूट्स और खासतौर पर यहां का पानी आदि सामग्रियों से बनाया जाता है
गंगा सोन और सरयू नदी के संगम के कारण यहां का जमील से निकलने वाला पानी बहुत मीठा है और Maner Ka Laddu का दाना इतना पतला होता है कि मुंह में जाते ही भूल जाता है जिस कारण इसे खाने वाले बिना तारीफ किए नहीं रहते हैं
पटना से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मनेर शरीफ इलाके का लड्डू स्थानीय लोगों की पहचान देश ही नहीं विदेश तक पहुंचा दिया है
महंगाई के कारण इसकी कीमत में भी काफी बिजी हो चुकी है जैसे घी से बने लड्डू की कीमत ₹540 प्रति किलो रिफाइंड तेल में बने लड्डू की कीमत ₹340 प्रति किलो आज के समय में है
Maner Ka Laddu का निर्माण शुद्धता के साथ वहां की तीसरी पीढ़ी संभाल रही है मनेर स्वीट्स के मालिक के अनुसार मनेर के बुलाकी साह फकीर साह ने आरंभ किया था।
उन लोगों के देहांत के बाद सुखदेव शाह ने अपने हाथों से इसे बनाने का काम शुरू किया लड्डू को देश विदेशों में सौगात के रूप में भेजा जाता है।
जो लोग मनेर शरीफ दरगाह का दीदार करने आते हैं वे लोग यहां का प्रसिद्ध मिठाई साथ में जरूर ले जाते हैं सौगात के तौर पर मिट्टी की हांडी में इसे अच्छे से पैकिंग कर लोगों को दिया जाता है
Silao Ka Khaja | सिलाव का खाजा


बिहार शरीफ के नालंदा जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूरी पर सिलाव नाम का जगह है यहां पाए जाने वाले खाजा की मिठास पूरी दुनिया में प्रचलित है जो भी पर्यटक राजगीर नालंदा घूमने आते हैं सिलाओ खाजा का स्वाद जरूर अनुभव करते हैं
सिलाओ खाजा में 52 परत होते हैं इसकी बनाने की शुरुआत यहां के निवासी काली साहनी लगभग 200 वर्ष पहले की थी शुरुआत में इसे खजूरी कहा जाता था।
लेकिन धीरे-धीरे इसका नाम बदलकर खाजा हो गया लेकिन खाजा के स्वाद में अभी भी कोई फर्क नहीं पड़ा है जबकि इसका व्यवसाय यहां की चौथी पीढ़ी अब कर रही है
काली साह के नाम से 6 दुकाने चलती है इनकी पीढ़ी के कुल 31 लोग जीवित हैं गौर करने वाली बात यह है की इनके परिवार से या खानदान से आज तक कोई भी बाहर नहीं गया लेकिन इनका खाजा को सौगात के तौर पर काफी जगह भेजा जाता है
काली शाह के परिवार के पर पोते संदीप की बहाली दरोगा में हुई थी लेकिन उन्होंने अपने परदादा के व्यवसाय Silao Ke Khaja को ही जारी रखा
काली साह के 3 पुत्र थे किशन साह सरल साह व पन्नालाल । इनकी पुरानी दुकान सिलाव खारी कुआं मोहल्ले में था। अभी वर्तमान में जो बायपास रोड है उस वक्त नहीं था।
पहले बाजार वाली रोड मेन रोड हुआ करता था उसी रोड से सभी गाड़ियां चला करती थी बाईपास रोड से छोटी रेल लाइन की गारी चलती थी उस वक्त भी खाजा को शुद्ध घी में बनाया जाता था और आज भी इसे शुद्ध घी में ही बनाया जाता है
सिलाओ के खाजा को पहले खजुरी कहा जाता था उस समय गेहूं को पीसकर मैदा तैयार किया जाता था शुद्ध घी में खाजा को तैयार किया जाता था जिसका दाम उस समय एक पैसे शेर था।
एक किंवदंती के मुताबिक तत्कालीन नालंदा विश्वविद्यालय के प्राचार्य शीलभद्र ने इस स्थल को खाजा नगरी के रूप में विकसित किया था।
इस स्थल पर ही भगवान बुद्ध महापंडित राहुल सांकृत्यायन और प्राचार्य शीलभद्र की प्रथम मुलाकात हुई थी उस समय शीलभद्र ने भगवान बुध का स्वागत किया और इस खाजा को खिलाया।
तब भगवान बुद्ध ने पूछा किया क्या चीज है जिसके जवाब में शीलभद्र ने कहा था कि खा जा भगवान बुद्ध ने खाने के बाद इसकी काफी प्रशंसा की उसी समय से इस मिठाई का नाम खाजा प्रचलित हुआ
सबसे पहले 1986 में सिलाओ के खाजा का प्रदर्शन अपना महोत्सव नई दिल्ली में हुआ था। काली साह के वंशज संजय कुमार को 1987 में मॉरीशस जाने का मौका मिला।
मॉरीशस में आयोजित सांग महोत्सव में इस मिठाई को सर्वश्रेष्ठ मिठाई का दर्जा मिला 1990 में दूरदर्शन के लोकप्रिय सांस्कृतिक सीरियल सुरभि वर्ष 2002 में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन व व्यापार मेला दिल्ली के अलावे कई अवसरों पर धूम मचाई है
एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व राष्ट्रपति रचना पाटिल, रामनाथ कोविंद, सीएम नीतीश कुमार, बाबा रामदेव, हेमा मालिनी, अनुराधा पौडवाल, देवानंद शारदा सिन्हा, अनूप जलोटा, पंकज उदास, मुकेश खन्ना, शत्रुघ्न सिन्हा और गोविंदा ने इसका स्वाद कई बार चखा है
संदीप लाल ने बताया है कि भारत सरकार द्वारा मेक इंडिया के तहत भारत के 12 पारंपरिक व्यंजन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेश किए जाने की योजना है जिसमें सिलाव का खाजा भी शामिल है
बिहार के नालंदा को ज्ञान की धरती के रूप में माना जाता है दुनिया भर में नालंदा प्रसिद्ध है डिजिटल दौर में भी खाजा को ऑनलाइन के माध्यम से घर तक मंगाने की सुविधा मिली हुई है
सिलाव का खाजा के एक पीस में 52 परत होते हैं यह बिल्कुल पेंटिंग के जैसा होता है खाने में कुरकुरे इसे नमकीन और मीठा दोनों तरीकों में बनाया जाता है
खाजा को बनाने के लिए आटा मैदा चीनी के साथ इलायची का इस्तेमाल किया जाता है इसे रिफाइंड और शुद्ध घी दोनों में तैयार किया जाता है या खाने में टेस्टी होने के साथ-साथ ज्यादा हेल्दी भी होता है
बिहार में सभी शुभ अवसर पर सौगात के रूप में खाजा को भेजा जाता है जैसे शादी में दुल्हन की विदाई में दिए जाने वाले मिठाई में यह बेहद महत्वपूर्ण मिठाई के रूप में भेजा जाता है दुल्हन जब मैंके वापस आती है तो वर पक्ष की ओर से भी खाजा को आवश्यक तौर पर भेजा जाता है
बिहार के खिलाफ खाजा को भौगोलिक संकेत अर्थात जी आई टैग भी दिया गया है इसलिए की इस उत्पाद की गुणवत्ता और विशेषता काफी शुद्ध है जीआई टैग उत्पाद किसानों बुनकरों शिल्पा और कलाकारों की आय को बढ़ाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था में वृद्धि की कोशिश की जा रही है
मनेर के लड्डू को चना को पीसकर बनाए गए बेसन से तैयार करने के अलावा सुगंध के लिए कन्नौज का केवड़ा का प्रयोग किया जाता है इसके निर्माण में शुद्धता का काफी ख्याल रखा जाता है जिस कारण आज भी यह लड्डू बेहद प्रचलित है
Conclusion
आशा करते है मनेर का लड्डू एवं सिलाव का खाजा के बारे में दी गयी जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। मनेर का लड्डू एवं सिलाव का खाजा बिहार के प्रचलित मिठाई के रुप के साथ साथ स्वादिष्ट एवं हेल्दी मिठाई के रुप में भी प्रसिद्ध है। एक बार जो भी इस मिठाई का स्वाद चख लेते है वे बार बार इसका स्वाद प्राप्त करना चाहेंगे। अपना किमती समय देकर इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद।