शादी के बाद व्यवहार में होने वाले परिवर्तन को Babua Ke Sagai दोहा के माध्यम से बड़ी ही खूबसूरती से वर्णन किया गया है।
दोहे के हर छन्दों में शादी के बाद माँ बाप भाई बहन परिवार के साथ किये जाने वाले व्यवहार को दर्शाया गया है। जो आजकल के संसार में हो रहे है।
शादी के बाद लोग पत्नी के प्रेम में लीन हो जाते है। उन्हें किसी भी अन्य रिस्तों का महत्व कम नजर आने लगते है। ससुराल को काफी महत्व देने लगते है। तो आईये इसे दोहा के माध्यम से जानते है।
Babua Ke Sagai
जब से बबुआ के हो गइले सगाई, वही दिन से बबुआ भुला गइले माई।
समात न माय बाप उनका ज्ञान में, बाप के कमाई पर कयलक फुटानी।
देखलक सिनेमा खुब दुनो प्राणी, कहलन बाप के तु हो गेलअ पागल।
कभी कभी माय के कहलन अभागल, मेहरिये के खोईछा मे देलन कमाई।
जब से बबुआ के हो गइले सगाई, वही दिन से बबुआ भुला गइले माई।
पाँच दिन खरे पन्द्रह दिन ससुरार में, बिता देलन मस्ती खुब साली साड़ में।
इ लाइन में बबुआ के बहुत बड़ा काम है,
नैहर से ससुरार ले जाये वाला काम है।
साथ ले के जइहे साथ ले के अइहे पलगंमा पर बिठा के साथ खइहे।
उनके दिन रात माथ में मेहरिये समाई,
जब से बउआ के हो गइले सगाई
जब से बबुआ भुला गइले माई।
चल गेलन कमाये कलपते विदेशवा, माथा में सुमरइते गेलन मेहरी के भेशवा,
कह गेलन पत्नी के, करइते रहिये फोन, दिही न ध्यान चाहे कोई मारिहे टोन।
अब फोन पर मेहरारु करे लागल बुलाहट
प्राण प्यारी के बात सुन हो गेलन अकुलाहट
चिन्ता न करी हम जरुर आ जाई
जब से बबुआ के हो गइले सगाई, वही दिन से बबुआ भुला गइले माई।
अब मेहरी के माथा त चढ़ गेल आकाश में, खोजे लागल मेहरी गलती आपन सास में।
मरदा के लागल उल्टा पलती सिखावे, गोतनी सास के खिस्सा बतियावे।
कअ दिहलन मरद के माथा जाम, इतना प्रेशर उ दिहलन सुबह शाम,
दो चार दिन में सबकुछ बताई,
जब से बबुआ के हो गइले सगाई, वही दिन से बबुआ भुला गइले माई।
अब बउआ त माई बाप पर करे लागल सक,
खोजे लागल जड़ी से फुनकी तक।
अब मेहरी उनका माई के लागता गरिआवे
गोतनी से लड़े ला फेटा सरियावे, एको बार मेहरी के न मना करइछ, काहे तु माई बाप के गरिअबइछ,
बबुआ भी माय के कहईछन हरजाई,
जब से बबुआ के हो गइले सगाई, वही दिन से बबुआ भुला गइले माई।