चित्रगुप्त महाराज की वर्ष में दो पूजा होती है पहला पूजा चित्रगुप्त जयंती एवं दूसरा को चित्रगुप्त पूजा के रुप में मनाया जाता है। Chitragupta Jayanti, Chitragupta Puja Vidhi Mahatva Katha Tithi in Hindi | चित्रगुप्त जयंती एवं चित्रगुप्त पूजा कथा, पूजा विधि एवं तिथि हिन्दी में जाने |
चित्रगुप्त जयंतीः चित्रगुप्त पूजा चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को पड़ती है। कायस्थ लोग चित्रगुप्त महाराज के वंशज होने के कारण चित्रगुप्त जयंती को पूरी ऋद्धा के साथ मनाते है, मान्यता है कि इसी दिन उनकी उत्पत्ति हुई थी, इस वर्ष 20 मार्च 2022 दिन रविवार को चित्रगुप्त पूजा की तिथि पड़ रही है।
चित्रगुप्त पूजाः हर वर्ष कार्तिक मास की दितीया तिथि को चित्रगुप्त पूजा मनाया जाता है। इस वर्ष यह पूजा 27 अक्टूबर 2022 को मनायी जाएगी।
श्री चित्रगुप्त भगवान को यमराज का सहयोगी माना जाता है, वे ही सभी प्राणियों के अच्छे बुरे का लेखा जोखा रखते है,
भुजाओं में कलम, दवात, करवाल और किताब धारण करने वाले चित्रगुप्त जी को यमराज का मुंशी भी कहा जाता है,
चित्रगुप्त महाराज कायस्थो के देवता हैं | कायस्थों द्वारा इनकी पूजा श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनाई जाती हैं | चित्रगुप्त भगवान मृत्यु के देवता यमराज के सहायक कहे जाते हैं | इन्हें मनुष्य के कर्मो का हिसाब किताब रखने का कार्य दिया गया हैं | यह जीवन के अंत में मनुष्य के कर्मो का हिसाब कर उसे स्वर्ग अथवा नरक में भेजते का कार्य करते हैं |
चित्रगुप्त महाराज के 12 पुत्र के नाम
1. | श्रीवास्तव |
2. | अम्बष्ठ |
3. | कर्ण |
4. | गौर |
5. | भटनागर |
6. | सक्सेना |
7. | अष्ठाना |
8. | कुलश्रेष्ठ |
9. | माथुर |
10. | निगम |
11. | वाल्मिकी |
12. | सूर्यद्धाजा |
चित्रगुप्त पूजा कब मनाया जाता हैं (Chitragupta Puja Date 2022)
हिन्दू धर्म के अनुसार जिस वर्ष अधिक मास आता हैं, हर वर्ष की कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीय के दिन चित्रगुप्त पूजा मनाई जाती हैं | इस प्रकार यह भाई दूज के दिन आती हैं| इस वर्ष की 27 अक्टूबर 2022 दूज को चित्रगुप्त पूजा मनाई जाएगी जो कि को मनाई जाएगी| इस दिन कायस्त समाज के लोग भगवान चित्रगुप्त की पूजा बड़ी धूम धाम से मनाते है।
चित्रगुप्त जयंती कब मनाया जाता हैं (Chitragupta Jayanti Date 2022)
चित्रगुप्त जयंती चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को पड़ती है। कायस्थ लोग चित्रगुप्त महाराज के वंशज होने के कारण चित्रगुप्त जयंती को पूरी ऋद्धा के साथ मनाते है, मान्यता है कि इसी दिन उनकी उत्पत्ति हुई थी, इस वर्ष 20 मार्च 2022 दिन रविवार को चित्रगुप्त पूजा की तिथि पड़ रही है।
चित्रगुप्त जयंती महत्व (Chitragupta Jayanti Mahatva)
चित्रगुप्त देव का जन्म ब्रह्मा जी की काया से हुआ अतएव उन्हें कायस्थ कहा जाता हैं | उनसे उत्पन्न मानव कायस्थ कहलाते हैं | इन्हें कायस्थ का जन्मदाता कहा जाता हैं |
भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल पर ब्रह्मा जी का जन्म हुआ इन्हें श्रृष्टि का सृजन करने का कार्य मिला | जिस कारण इन्होने देवी देवता सुर असुर एवम धर्मराज आदि उत्पन्न किये |
इन्हीं में संसार को गतिशील बनाने हेतु यमराज का जन्म हुआ, जिन्हें मृत्यु का स्वामी बनाया गया | इस कार्य का भार अधिक था, जिसके लिए यमराज ने एक सहायक की मांग की | तब ब्रह्मा जी ने हजार वर्षो तक तपस्या की और उनकी काया से जो पुरुष का जन्म हुआ.
हिन्दू मान्यता के अनुसार ब्रम्हा जी ने अपने शरीर के अलग अलग हिस्सों से पहले 16 पुत्रों को जन्म दिया, और फिर इसके बाद उनके पेट से भगवान चित्रगुप्त का जन्म हुआ. जिस कारण उनका नाम चित्रगुप्त पड़ा|
इस प्रकार अधिक मास के वर्ष में कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वीज को चित्र गुप्त का जन्म हुआ, इसलिए इस चित्रगुप्त जयंती के रूप में प्रति वर्ष भाई दूज के दिन मनाया जाता हैं|
चित्रगुप्त एक लेखक कहे जाते हैं जो मनुष्य के जीवन का सार विस्तार लिखते हैं इनके चित्र में इनके एक हाथ में किताब हैं, जिसमे मनुष्य के कर्मो का ब्यौरा हैं, दुसरे हाथ में कलम हैं और अन्य में दवात एवं करवाल हैं |
इस तरह यह मनुष्य के कर्मो के लेखा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं और उसके अनुसार उसकी नियति तय करते हैं |
चित्रगुप्त पूजा महत्व (Chitragupta Puja Mahatava)
हिन्दू धर्म के अनुसार मनुष्य के जीवन में बहुत से घटनाएं घटित होते है, जिसमें पुर्न जन्म का भी बहुत रहस्य का प्रभाव जुड़ा हुआ है, ऐसा माना जाता है कि जो लोग अपने जन्मकाल के समय अच्छे कर्मों और बुरे कर्मों के बीच संतुलन नहीं रखते है,
उन्हें पृथ्वी में किसी भी रूप में पुर्न जन्म लेकर अपने जीवन काल के कर्मो का परिणाम भुगतना होता होता है, चित्रगुप्त महाराज का पहला कार्य यह है कि उन्हें सभी मनुष्यों के जीवन का लेखा जोखा रखते है, मनुष्यों को उनके जीवन की अच्छाई बुराई के अनुसार फैसला करते है और फिर उनकी मृत्यु का समय निर्धारित किया जाता है।
चित्रगुप्त पूजा विधि, पूजन सामग्री (Chitragupta Pujan Vidhi)
पूजन सामग्री –
तिल, कपूर, पान, सुपाड़ी, शक्कर, पेन, पेपर, इंक, गंगा जल, धान, रुई, शहर, पिली सरसों, धुप, दही, मिठाई, एक कपड़ा, दूध, फल, पंचपात्र, गुलाल, तुलसी, रोली, केसर, माचिस, चन्दन पेस्ट
पूजन विधि –
- सबसे पहले पूजा वाले स्थान को अच्छे से साफ कर लें.
- चित्रगुप्त जी की प्रतिमा या फोटो को सबसे पहले पानी से फिर गुलाब जल से साफ करें. इसे उसके बाद फिर एक बार पानी से स्नान कराएँ.
- इसके बाद चित्रगुप्त जी के पास घी का दीपक जलाएं. 5 समान को मिलाकर पंचमित्र बनायें, इसमें दूध, दही, घी, शक्कर और शहद मिलाएं.
- मिठाई, फलों को प्रसाद में चढ़ाएं.
- फूलों की माला चढ़ाएं. अबीर, सिंदूर, हल्दी लगायें.
- अगरबत्ती जलाएं. चित्रगुप्त जी की कथा पढ़ें. इसके बाद आरती करें.
- प्लेन पेपर में रोली-घी मिलाकर स्वस्तिक बनायें. इसमें नए पेन से 5 भगवान के नाम लिखें.
- इसके बाद इसमें मन्त्र लिखें और फिर अपना नाम, पता, तारीख, आय-व्यय लिखें.
- इसके बाद कागज को मोड़ कर चित्रगुप्त जी के सामने रख दें.
चित्रगुप्त जयंती कथा (Chitragupta Jayanti Katha)
एक राजा थे जिसका नाम सौदास था | कर्मो से बड़ा ही धूर्त था | पापो का मानो स्वामी था | अत्याचार करना ही उसका धर्म था | एकबार वो आखेट के लिए वन में गया तब ही वहाँ साधू संत पूजा कर रहे थे
तब उसने उस पूजा का कारण पूछा तब साधुओं ने बताया यह भगवान चित्रगुप्त एवम यमराज की पूजा हैं इसे चित्रगुप्त जयंती कहते हैं इसे करने से मनुष्य का नरक योग ख़त्म होता हैं और मनुष्य के सारे पाप माफ़ हो जाते हैं | यह सुनकर राजा ने भी विधि विधान से यह पूजा की |
कुछ समय बाद राजा की मृत्यु हुई | यम दूत उसे मारते हुए लेकर गए | उसके सामने चित्रगुप्त ने उसके जीवन का लेखा निकाला जो पापो से भरा हुआ था लेकिन उसमे देख उन्होंने कहा एक बार इस धूर्त राजा ने चित्रगुप्त जयंती की पूजा बहुत श्रद्दा से की थी इसलिए धर्मानुसार इसे नरक में नहीं भेजा जा सकता इस प्रकार राजा को स्वर्ग मिलता हैं |
चित्रगुप्त जयंती करने से पापो का विनाश होता हैं |पृथ्वी के संतुलन के लिए चित्रगुप्त का होना बहुत जरुरी हैं | मनुष्य के कर्मो का हिसाब ही उसके अंत को निश्चित करता हैं जो कि बहुत कठिन एवम उत्तरदायित्व का कार्य हैं |
चित्रगुप्त पूजा कायस्थ समुदाय के द्वारा बड़े धूमधाम से की जाती है, जो विश्व शांति, न्याय, ज्ञान और साक्षरता में विश्वास रखता है, इस पूजा को दवात पूजा भी कहा जाता है,
जहाँ कागज, पेन की पूजा की जाती है, इसे कायस्थ लोग अध्ययन का प्रतीक मानते है, घर में कमाने वाले सदस्य अपनी आय चित्रगुप्त जी के सामने लिखते है, और घर चलाने के लिए जितने खर्च की जरूरत रहती है उसे भी लिखते है, ताकि अगले साल उनकी आय में इजाफा हो सके, चित्रगुप्त जी से वे सुख-समृधि की प्राथना करते है
Conclusion (निष्कर्ष)
आशा करते है इस लेख के माध्यम से Chitragupta Jayanti एवं Chitragupta Puja की पूरी जानकारी मिल गयी होगी। इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
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अन्य पढ़ेः-
FAQ
Q : चित्रगुप्त जी का जन्म कब हुआ ?
Ans : चित्रगुप्त जयंती चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को चित्रगुप्त जी का जन्म हुआ.
Q : चित्रगुप्त जयंती कब मनाई जाती है ?
Ans : चित्रगुप्त जयंती चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन चित्रगुप्त जयंती मनाई जाती है.
Q : चित्रगुप्त पूजा कब मनाई जाती है ?
Ans : हर वर्ष कार्तिक मास की दितीया तिथि को चित्रगुप्त पूजा मनाया जाता है।
Q : चित्रगुप्त महाराज कौन थे ?
Ans : चित्रगुप्त महाराज कायस्थ जाति के देवता
Q : चित्रगुप्त पूजा क्यों मनाया जाता है ?
Ans : क्योकि कायस्थ जाति के लोग उन्हें अपना ईष्ट देवता मानते हैं.
चित्रगुप्त पूजा कब है 2022?
Chitragupta Puja 27 अक्टूबर 2022 को चित्रगुप्त पूजा है।
चित्रगुप्त भगवान कौन है?
चित्रगुप्त ब्रह्मा जीे पुत्र एवं कायस्थ वंश के देवता है।
चित्रगुप्त का जन्म कब हुआ?
चित्रगुप्त महाराज का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष के द्वितीया तिथि को
चित्रगुप्त के कितने पुत्र हैं?
चित्रगुप्त के 12 पुत्र हैं
चित्रगुप्त के पुत्रों के नाम क्या हैं ?
श्रीवास्तव, अम्बष्ठ, माथुर, गौर, निगम, अष्ठाना, भटनागर, कुलश्रेष्ठ, सूर्यद्वाजा, सक्सेना, कराना, वाल्मीकि आदि.