Michiaki Takahashi Biography : जिन्होने चिकेन प़ॉक्स का पहला वैक्सीन विकसित किया था। जिसका इस्तेमाल दुनिया के 80 देशो में किया जाता है।
मिचियाकी ताकाहासी एक जापानी वायरोलीजेस्ट थे। जिन्होनें चिकेनपॉक्स का पहला वैक्सीन विकसित किया, जिससे आजतक और आगे भी लोगों का लाभ मिलता रहेगा। चिकेनपॉक्स से होने वाले मौत को रोका जा सका।
Michiaki Takahasi Biography
नाम (हिन्दी में) | – मिचियाकी ताकाहासी |
नाम (अंग्रेजी में) | –Michiaki Takahashi |
जन्म तिथि | -17 फरवरी 1928 |
जन्म स्थान | -ओसाका |
मृत्यु | -दिसंबर 2013 |
शोध | -चिकेनपॉक्स का पहला वैक्सीन |
टीका का निर्माण | -1974 |
Who was Dr. Michiaki Takahashi? (कौन थे डॉ ताकाहाशी?)
डॉक्टर मिचियाकी ताकाहाशी का जन्म 17 फरवरी के दिन 1928 में जापान के ओसाका में हुआ था।
उन्होंने अपनी चिकित्सा की डिग्री ओसाका विश्वविद्यालय से हासिल की और 1959 में ओसाका विश्वविद्यालय के माइक्रोबियल रोग अनुसंधान संस्थान में शामिल हो गए।
खसरा और पोलियो वायरस का अध्ययन करने के बाद डॉ ताकाहाशी ने 1963 में संयुक्त राज्य अमेरिका के बायलर कालेज में एक शोध फेलोशिप स्वीकार की। इसी दौरान उनके बेटे को चिकनपॉक्स हो गया।
इस घटना से वास्तव में उन्हें बीमारी के खिलाफ इलाज हेतु एक टीका खोजने में मदद मिली।
गूगल भी उनके जन्म दिन पर एक शानदार डूडल बनाकर उनके बारे में दूनिया को बताती है जिसमें आप देख सकते हैं कि एक डॉक्टर बच्चे की जांच कर रहे हैं।
गूगल का ये डूडल चिकनपाक्स के टीके का आविष्कार करने वाले महान डॉ मिचियाकी ताकाहाशी (Dr. Michiaki Takahashi) को समर्पित है।
गूगल ने डॉ मिचियाकी ताकाहाशी को उनके 94 वीं जयंती (Dr. Michiaki Takahashi’s 94th Birthday) पर डूडल (Google Doodle) के जरिए श्रद्धांजलि भी दी है।
Google के अनुसार, नया Google समय समय पर डूडल द्वारा वर्तमान में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, रूस और कुछ यूरोपीय और दक्षिण अमेरिकी देशों में प्रदर्शित किया गया है।
ताकाहाशी का शोध एवं टीका
अमेरिका जाने के दो साल के बाद, डॉ. ताकाहाशी 1965 में कमजोर चिकनपॉक्स के विषाणुओं के साथ प्रयोग करते हुए अमेरिका से वापस जापान लौट आए।
पांच वर्ष के बाद, मानव परीक्षणों के लिए टीका को तैयार कर लिये थे और 1974 तक, डॉ. ताकाहाशी इसे बनाने में सफल भी हो गए थे। वैरिकाला चिकनपॉक्स वायरस के खिलाफ पहला टीका माना जाता है।
1974 में डॉ ताकाहाशी द्वारा बनाया गया चिकेन पॉक्स टीका आज भी प्रयोग में लिया जाता है, और लाखों बच्चों को इस संक्रामक वायरल रोग के गंभीर मामलों से बचाने में मदद लिया जाता है।
इम्यूनोसप्रेस्ड रोगियों के साथ बाद के कठोर शोध के बाद यह बेहद प्रभावी साबित हुआ। 1984 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुमोदित एकमात्र वैरिकाला वैक्सीन, 1986 में जापान में रिसर्च फाउंडेशन फॉर माइक्रोबियल डिजीज (Foundation for Microbial Disease) द्वारा शुरू की गई थी।
जापानी स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय ने भी इसे दुनिया भर में उपयोग के लिए मंजूरी दी थी। जल्द ही, जीवनरक्षक टीका (वैक्सीन) 80 देशों द्वारा इस्तेमाल किया जाने लगा।
डॉ. मिचियाकी ताकाहाशी का दिसंबर 2013 में 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।