हिन्दी कहानीः जीरो से हीरो | Zero Se Hero Story in Hindi 2023

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Last Updated on 09/03/2023 by Editorial Team

जीरो से हीरो: कर्नाटक के एक छोटे से गाँव कडइकुडी (मैसूर) के एक गरीब किसान परिवार मे पैदा हुए प्रताप की। इस 21 वर्षीय वैज्ञानिक ने फ्रांस से प्रतिमाह 16 लाख के वेतन, 5 कमरे का फ्लैट, और दो करोड पचास लाख की कार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इन्हें डीआरडीओ में नियुक्त किया है।

प्रताप एक गरीब किसान परिवार से है।बचपन से ही इन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स में काफी दिलचस्पी थी। 12वीं कक्षा में जाते-जाते, पास के साइबर कैफे में जाकर उन्होंने अंतरिक्ष विमानों के बारे में काफी जानकारी इकट्ठा कर ली दुनियाभर के वैज्ञानिकों को अपने टूटी-फूटी अंग्रेजी में मेल भेजते रहते थे, कि मैं आपसे सीखना चाहता हूं,पर कोई जवाब सामने से नहीं आता था।

इंजीनियरिंग करना चाहते थे, लेकिन पैसे नहीं थे इसलिए बीएससी में एडमिशन ले लिया, पर उसे भी पैसों के अभाव के कारण पूरा नहीं कर पाए। फीस न भर पाने के कारण इन्हें हॉस्टल से बाहर निकाल दिया गया, तो यह सरकारी बस स्टैंड पर रहने, सोने, लगे। कपड़े वही के पब्लिक टॉयलेट में धोते थे। इंटरनेट की मदद से कंप्यूटर लैंग्वेज सीखी। इलेक्ट्रॉनिक कचरे से ड्रोन बनाना सीखा।

80 बार असफल होने के बाद आखिर वह ड्रोन बनाने में सफल रहे। उस ड्रोन को लेकर वह एक प्रतिस्पर्धा में चले गए और वहां जाकर द्वितीय पुरस्कार प्राप्त किया। वहां उन्हें किसी ने जापान में होने वाले ड्रोन कंपटीशन में भाग लेने को कहा। उसके लिए उन्होंने उन्हें अपने प्रोजेक्ट को चेन्नई के एक प्रोफ़ेसर से अप्रूव करवाना आवश्यक था।वह पहली बार चेन्नई गए। काफी मुश्किल से अप्रूवल मिल गया।

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जापान जाने के लिए ₹60000 की जरूरत थी। मैसूर के ही एक भले इंसान ने उनकी मदद की। प्रताप ने अपनी माताजी का मंगलसूत्र बेच दिया और जापान गए। जब जापान पहुंचे तो सिर्फ ₹1400 बचे थे इसलिए जिस स्थान तक उन्हें जाना था, उसके लिए बुलेट ट्रेन ना लेकर सामान्य ट्रेन पकड़ी। इसके बाद 8 किलोमीटर तक पैदल चलकर उस स्थान तक पहुंचे।

प्रतिस्पर्धा स्थल पर उनकी ही तरह 127 देशों के लोग भाग लेने आए हुए थे। बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी के बच्चे भाग ले रहे थे। नतीजे घोषित हुए। ग्रेड के अनुसार नतीजे बताए जा रहे थे। प्रताप का नाम किसी ग्रेड में नहीं आया। वह निराश हो गए। अंत में टॉप टेन की घोषणा होने लगी। प्रताप वहां से जाने की तैयारी कर रहे थे।

10वें नंबर के विजेता की घोषणा हुई, फिर कृमशः9,8,7,6,5,4,3,और दूसरे स्थान पर भी रहने वाले प्रतिस्पर्धी की घोषणा हुई, प्रताप का नाम कहीं नहीं था।अंत में पहला पुरस्कार की घोषणा हुई, जो मिला हमारे भारत के प्रताप को । अमेरिकी झंडा जो सदा ही वहां ऊपर रहता था, वह थोड़ा नीचे आया और सबसे ऊपर तिरंगा लहराने लगा।

प्रताप की आंखें आंसू से भर गई, वह रोने लगे। उन्हें $10000डालर ( सात लाख से ज्यादा रुपये) का पुरस्कार मिला। इसके तुरंत बाद फ्रांस ने इन्हें जॉब ऑफर की।श्री मोदी जी की जानकारी में प्रताप की यह उपलब्धिआई। उन्होंने प्रताप को मिलने बुलाया तथा पुरस्कृत किया। उनके राज्य में भी सम्मानित किया गया। अब तक 600 से ज्यादा ड्रोन बना चुके हैं प्रताप। मोदी जी ने डीआरडीओ से बात करके प्रताप को वहां नियुक्ति दिलवाई । आज प्रताप डीआरडीओ में एक वैज्ञानिक हैं।

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हीरो वह है जो जीरो से निकला हो। आज के विद्यार्थियों को प्रताप जैसे लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए, ना कि टिक टॉक जैसे किसी ऐप पर काल्पनिक दुनिया में जीने वाले, किसी रंग बिरंगे बाल वाले जोकर से।

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